RBI Guidelines For Bank Loan – भारतीय रिजर्व बैंक देश के बैंकिंग सिस्टम की देखरेख करता है। RBI उपभोक्ताओं और बैंकों के साथ-साथ अन्य वित्तीय संस्थानों के अधिकारों को स्पष्ट और सुरक्षित करता है। कभी-कभी बैंकिंग क्षेत्र उपभोक्ताओं के अधिकारों की अनदेखी कर देता है, ऐसे में RBI उपभोक्ताओं के हितों की रक्षा करता है। लोन लेने वालों के फायदों के लिए RBI ने बैंकों और अन्य वित्तीय संस्थानों को महत्वपूर्ण निर्देश दिए हैं।
जब लोग बैंक से लोन लेने जाते हैं, तो बैंक कई तरह के चार्ज भी लगाते हैं। ग्राहक लोन लेते समय अपनी जरूरतों पर ध्यान देते हैं और उन चार्जेस को नजरअंदाज कर देते हैं। लोन चुकाते समय भी ग्राहक बैंक के चार्जेस का सही से आकलन नहीं कर पाते, क्योंकि कई बार लोन लेने के बाद उनके पास सारी जानकारी नहीं होती। इसी वजह से भारतीय रिजर्व बैंक ने लोन लेने वालों के हक में एक महत्वपूर्ण आदेश जारी किया है।
ग्राहकों के लिए ये जानकारी है
अगर आप पर कोई लोन है या लोन लेने का मन बना रहे हैं, तो आपके लिए रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया से एक अच्छी खबर आई है। अब बैंक और अन्य वित्तीय संस्थान लोन पर लगने वाले सभी शुल्क और चार्ज को छिपा नहीं सकेंगे। बैंकों को उपभोक्ताओं को सभी शुल्क और चार्ज के बारे में पूरी जानकारी देनी होगी। इससे लोन लेने वाले लाखों लोगों को फायदा होगा। रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) ने सभी बैंकों और गैर-बैंकिंग वित्तीय संस्थानों को यह निर्देश दिया है। RBI के इस आदेश का पालन 1 अक्टूबर से शुरू हो गया है।
इसके तहत उपभोक्ताओं को रिटेल और एमएसएमई लोन पर ब्याज और सभी चार्ज की जानकारी देनी होगी। RBI ने फैक्ट स्टेटमेंट रूल (KFS) लागू किया है। चलिए जानते हैं फैक्ट स्टेटमेंट रूल क्या है।
RBI के इस निर्णय के पीछे की वजहें ये हैं
रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने एक नया फैक्ट स्टेटमेंट रूल लागू किया है। इसके तहत RBI लोन की प्रक्रिया को और अधिक सुसंगत बनाना चाहता है। RBI के अनुसार, सभी बैंकों और गैर-बैंकिंग वित्तीय संस्थानों द्वारा दी जाने वाली सेवाओं में पारदर्शिता बढ़ेगी। इससे बैंकों और ग्राहकों के बीच जानकारी की कमी को दूर किया जा सकेगा।
उधारकर्ताओं को मिलेगा लाभ
लोग अक्सर मजबूरी में लोन लेते हैं और जल्दीबाजी में बैंकिंग चार्ज पर ध्यान नहीं देते। इस निर्णय से लोन लेने वालों को पूरी जानकारी मिलेगी, जिससे वे सोच-समझकर वित्तीय निर्णय ले सकेंगे। RBI के नए नियम सभी प्रकार के रिटेल और एमएसएमई लोन पर लागू होंगे।
क्या है फैक्ट स्टेटमेंट रूल (KFS)
अगर इसे आसान भाषा में समझें तो फैक्ट स्टेटमेंट रूल लोन एग्रीमेंट के अहम पहलुओं की जानकारी देता है। इसे एक फ्रेमवर्क फॉर्मेट में सरलता से पेश किया जाएगा। RBI ने सभी बैंकों को इस बारे में निर्देश दिए हैं। ये नियम सभी नए लोन पर लागू होंगे। भारतीय रिजर्व बैंक के अनुसार, आरबीआई के अधीन संस्थाओं द्वारा तीसरे पक्ष सेवा प्रदाता से उधार लेने वाली इकाइयों से लिए जाने वाले बीमा और कानूनी शुल्क जैसे खर्च भी वार्षिक प्रतिशत दर में शामिल होंगे। इनका खुलासा अलग से करना होगा।
केएफएस में शामिल नहीं है
वहीं, क्रेडिट कार्ड से जुड़ा एक शुल्क ऐसा है जिसका जिक्र केएफएस में नहीं किया गया है। क्रेडिट कार्ड का उपयोग करने वाले उधारकर्ता की स्पष्ट सहमति के बिना कार्ड की अवधि के दौरान ऐसा कोई शुल्क नहीं लिया जा सकता है।