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FD में पैसा लगाने से पहले जान लें ये 5 बातें, वरना हो सकता है बड़ा नुकसान! FD Investment

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FD Investment : आजकल ज्यादातर लोग जल्दी और सुरक्षित तरीके से अच्छा मुनाफा कमाना चाहते हैं, इसलिए वे निवेश के अलग-अलग तरीकों में ज्यादा ब्याज दरें खोजते हैं। एफडी भी आजकल एक बेहतरीन निवेश विकल्प माना जाता है, लेकिन बहुत से लोग नहीं जानते कि एफडी में निवेश करने पर उच्च ब्याज दरें तो मिलती हैं, लेकिन इसके साथ कुछ शर्तें भी होती हैं, जो आपको चौंका सकती हैं। इसलिए एफडी में पैसे लगाने से पहले इन बातों को ध्यान में रखना जरूरी है।

एफडी में पैसा लगाना एक सुरक्षित जमा माना जाता है। हालांकि, जब आप एफडी में निवेश करते हैं, तो आप अपने और अपने परिवार के भविष्य को सुरक्षित मानते हैं, लेकिन इसमें कुछ जोखिम भी होते हैं, जो आपको आर्थिक नुकसान पहुंचा सकते हैं। एफडी में निवेश के लिए कई विकल्प हैं, लेकिन किसी भी एफडी में पैसा लगाने से पहले ये 5 बातें जान लेना जरूरी है, वरना आपको बड़ा नुकसान हो सकता है।

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फिक्स्ड डिपॉजिट पर मिलने वाला रिटर्न थोड़ा कम हो सकता है

जब ब्याज दरें घटती हैं, तो फिक्स्ड डिपॉजिट्स (FD) पर मिलने वाला रिटर्न भी कम हो सकता है। बैंक अक्सर अपनी एफडी रेट्स को कम कर देते हैं, जिससे निवेशकों को कम ब्याज मिलता है। लेकिन कुछ बैंक अभी भी अच्छे रिटर्न दे रहे हैं, इसलिए अगर सही बैंक का चुनाव किया जाए, तो एफडी में निवेश करना फायदेमंद हो सकता है।

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एफडी पर बीमा सुरक्षा

जब निवेशक इन बैंकों में एफडी करते हैं, तो उन्हें इंश्योरेंस कवर भी मिलता है, जो उनके डिपॉजिट की सुरक्षा करता है। वित्तीय विशेषज्ञों का कहना है कि निवेशकों को अपनी कमाई को अलग-अलग बैंकों में बांटकर निवेश करना चाहिए, ताकि वे इंश्योरेंस कवरेज का अधिकतम लाभ उठा सकें और जोखिम को कम कर सकें। इस समय स्मॉल फाइनेंस बैंक एफडी पर ज्यादा ब्याज दरें ऑफर कर रहे हैं, जो सरकारी और प्राइवेट बैंकों की तुलना में 1 से 1.5 प्रतिशत अधिक हैं। उदाहरण के लिए, सूर्योदय बैंक और यूनिटी बैंक 5 साल या उससे अधिक की अवधि वाली एफडी पर 8.25 प्रतिशत तक ब्याज दे रहे हैं, जो काफी आकर्षक माना जा रहा है।

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लिक्विडिटी और अवधि की जानकारी देना जरूरी है

बैंक एफडी स्कीम्स में निवेश करते समय, आपको उनकी लिक्विडिटी और अवधि का ध्यान रखना जरूरी है। कई बैंक मैच्योरिटी से पहले पैसे निकालने की सुविधा देते हैं, लेकिन कुछ बैंक इसके लिए पेनाल्टी भी लगाते हैं। अगर आपको इमरजेंसी में अपनी एफडी तोड़नी पड़ती है, तो बैंक और नॉन-बैंकिंग फाइनेंशियल कंपनियां आपसे 1 प्रतिशत फीस ले सकती हैं, जो आपकी ब्याज दर से कम होती है। यह फीस आपके निवेश के समय के आधार पर घटती जाती है।

एफडी में निवेश करने का फैसला करते समय कुछ बातें ध्यान में रखें

जब आप एफडी में पैसे लगाने का सोचें, तो सिर्फ ब्याज दर पर ध्यान न दें। यह जानना जरूरी है कि मैच्योरिटी से पहले पैसे निकालने पर आपको जुर्माना लग सकता है, जिससे आपका ब्याज कम हो सकता है। ब्याज की गणना बैंक की शर्तों और आपकी निवेश अवधि के अनुसार होती है, इसलिए इन बातों का ध्यान रखना जरूरी है ताकि आगे चलकर कोई दिक्कत न आए।

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टैक्स सेविंग एफडी में टैक्स छूट

अगर आप टैक्स सेविंग एफडी में पैसे लगाते हैं, तो आपको एक वित्तीय वर्ष में 1.5 लाख रुपये तक की टैक्स छूट मिल सकती है। इस तरह की एफडी में निवेश करने के बाद, आपको 5 साल तक पैसे नहीं निकालने होते, यानी इसमें लॉक-इन पीरियड होता है। लेकिन ध्यान रहे, टैक्स सेविंग एफडी से मिलने वाले ब्याज पर टैक्स आपके टैक्स स्लैब के अनुसार लगेगा, जैसे कि बाकी एफडी पर होता है।

बैंकों में इंश्योरेंस की रकम कितनी होती है

बैंकों में एफडी, आरडी, सेविंग्स और करेंट अकाउंट्स पर 5 लाख रुपये तक का इंश्योरेंस मिलता है। ये इंश्योरेंस तब काम आता है जब कोई बैंक डिफॉल्ट कर जाए, जिससे निवेशकों को सुरक्षा मिलती है। डीआईसीजीसी इंश्योरेंस का मकसद निवेशकों को नुकसान से बचाना है, और ये न केवल निवेश की गई राशि बल्कि उस पर मिलने वाले ब्याज को भी कवर करता है। इससे अगर बैंक डिफॉल्ट होता है, तो निवेशकों को कोई बड़ा नुकसान नहीं उठाना पड़ता।

किस एक्ट के तहत मिलेगा फायदा

इसके अलावा, सीनियर सिटिजन (FD for senior citizen) को इस योजना के तहत IT एक्ट 80TTB के तहत खास लाभ मिलता है। उन्हें एक विशेष टैक्स छूट मिलती है, जिसके अनुसार बैंक और पोस्ट ऑफिस में जमा राशि पर मिलने वाले ब्याज पर 50,000 रुपये तक की टैक्स छूट (tax exemption on FD) प्राप्त कर सकते हैं। यह फायदा सिर्फ सीनियर सिटिजन के लिए है, जो उन्हें आयकर अधिनियम (income tax act) के तहत मिलता है।

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यहां निवेश करके भी लाभ उठा सकते हैं

सुकन्या समृद्धि जैसी योजनाओं में निवेश: टैक्स सेविंग एफडी से मिलने वाला रिटर्न आमतौर पर महंगाई को कवर करने के लिए काफी नहीं होता, खासकर उन लोगों के लिए जो उच्च टैक्स स्लैब में आते हैं। ऐसे लोग बेहतर रिटर्न के लिए PPF, NSC, या सुकन्या समृद्धि जैसी योजनाओं में निवेश कर सकते हैं। ये योजनाएं न केवल धारा 80C के तहत टैक्स बचाने का मौका देती हैं, बल्कि अच्छा रिटर्न भी देती हैं।

लॉक-इन अवधि कितनी होती है

अगर आप थोड़ा जोखिम उठाने के लिए तैयार हैं और अच्छे रिटर्न की तलाश में हैं, तो आप इक्विटी लिंक्ड सेविंग स्कीम (ELSS) में निवेश कर सकते हैं। इसकी लॉक-इन अवधि केवल 3 साल है, जो टैक्स बचाने वाली योजनाओं में सबसे कम है। यह उन लोगों के लिए बेहतरीन विकल्प हो सकता है, जो थोड़ा जोखिम लेकर ज्यादा मुनाफा कमाना चाहते हैं।

क्रेडिट कार्ड और ओवरड्राफ्ट की सुविधाएं

कई बैंक अपने ग्राहकों को एफडी के खिलाफ सिक्योर्ड क्रेडिट कार्ड और ओवरड्राफ्ट जैसी सुविधाएं देते हैं। ओवरड्राफ्ट के माध्यम से आप एफडी पर लोन ले सकते हैं, जो खासकर वित्तीय संकट के समय बहुत काम आता है। इस लोन पर आपको केवल उसी राशि का ब्याज देना होता है, जिसे आपने उपयोग किया है, बाकी पर कोई ब्याज नहीं लगता।

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एफडी वापस कब मिलती है

लोन की एक खास बात ये है कि आप अपनी एफडी को तोड़े बिना भी उसका इस्तेमाल कर सकते हैं। जब आप लोन चुका देते हैं, तो आपकी एफडी आपको वापस मिल जाती है, और उस पर मिलने वाला ब्याज भी नहीं घटता। इस तरह, ये एक सुरक्षित और आसान तरीका है, जिससे आप बिना एफडी तोड़े अपनी वित्तीय जरूरतें पूरी कर सकते हैं।

सिक्योर्ड क्रेडिट कार्ड कब ले सकते हैं

कुछ लोगों को क्रेडिट कार्ड पाने में दिक्कत होती है, ऐसे में वे एफडी के बदले सिक्योर्ड क्रेडिट कार्ड ले सकते हैं। ये कार्ड आपके क्रेडिट स्कोर को सुधारने में मदद करते हैं, क्योंकि बैंक इसके जरिए किए गए लेन-देन की जानकारी क्रेडिट ब्यूरो को भेजते हैं। इससे आपके क्रेडिट स्कोर पर अच्छा असर पड़ता है, और अगर आप इसे सही से इस्तेमाल करते हैं, तो यह आपके स्कोर को धीरे-धीरे बढ़ा सकता है। इसके अलावा, सिक्योर्ड क्रेडिट कार्ड लेने पर आपकी एफडी पर मिलने वाला ब्याज भी जारी रहता है, जैसे लोन अगेंस्ट एफडी में होता है। इस तरह, आपको न सिर्फ क्रेडिट स्कोर बनाने का मौका मिलता है, बल्कि आपकी एफडी भी सुरक्षित रहती है और उस पर ब्याज भी मिलता है।

टीडीएस कटने का समय

जब बैंक एफडी पर ब्याज का भुगतान करता है, तो उसमें से टीडीएस (टैक्स डिडक्शन एट सोर्स) काटा जाता है, लेकिन यह आपकी टैक्स जिम्मेदारी को पूरी तरह से खत्म नहीं करता। टीडीएस की दर इस बात पर निर्भर करती है कि आपके पास पैन कार्ड है या नहीं। अगर आपके पास पैन कार्ड है, तो 10 प्रतिशत कटता है, और अगर नहीं है, तो यह 20 प्रतिशत तक जा सकता है। फिर भी, निवेशकों को अपनी कुल आय और टैक्स स्लैब के अनुसार टैक्स चुकाना होता है, क्योंकि टीडीएस केवल एक आंशिक भुगतान होता है।

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टीडीएस कब नहीं कटता है

अगर किसी निवेशक की एफडी पर मिलने वाला ब्याज एक वित्त वर्ष में 40,000 रुपये से कम है, तो उन पर टीडीएस नहीं कटता। फिर भी, निवेशकों को अपनी टैक्स स्थिति को ध्यान में रखते हुए अपनी पूरी टैक्स देनदारी को आयकर रिटर्न दाखिल करते समय सही तरीके से समायोजित करना चाहिए। इससे वे एफडी से मिलने वाले ब्याज और अन्य निवेश विकल्पों के बीच बेहतर निर्णय ले सकेंगे।

एफडी का चुनाव कैसे करें

आने वाले समय में एफडी पर मिलने वाला ब्याज दर कम हो सकता है, लेकिन निवेशकों को अपनी वित्तीय आवश्यकताओं और लक्ष्यों के अनुसार एफडी की अवधि का चयन करना चाहिए। जब भी आप लंबी अवधि के लिए एफडी का चुनाव करें, तो लिक्विडिटी यानी पैसों की तुरंत जरूरतों का भी ध्यान रखना जरूरी है, ताकि अचानक पैसों की आवश्यकता होने पर कोई दिक्कत न आए।

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