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खराब CIBIL वालों के लिए राहत! हाईकोर्ट ने बैंकों को लगाई कड़ी फटकार – CIBIL Score

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CIBIL Score : सिबिल स्कोर असल में एक तरह का क्रेडिट स्कोर है। ये आपकी क्रेडिट हिस्ट्री पर आधारित होता है। अगर आपका सिबिल स्कोर ऊँचा है, तो आपको लोन जल्दी मिल जाता है। सिबिल स्कोर की अधिकतम सीमा 900 अंक होती है। जब आप अपने लोन की किस्तें समय पर चुकाते हैं, तो आपका सिबिल स्कोर अच्छा बना रहता है। अगर आप अपने होम लोन, कार लोन, या गोल्ड लोन की किस्तें समय पर भरते हैं, तो इसका सकारात्मक प्रभाव आपके सिबिल स्कोर पर पड़ता है और वो बढ़ता है।

जब भी आप किसी बैंक में लोन के लिए जाते हैं, सबसे पहले आपका सिबिल स्कोर देखा जाता है। अगर आप अपने लोन की ईएमआई समय पर नहीं भरते या लोन चुकाने से मना कर देते हैं, तो इससे आपका सिबिल स्कोर गिर जाता है। सिबिल स्कोर 600 से कम होना खराब माना जाता है। 700 से ऊपर का स्कोर अच्छा होता है और 800 से ज्यादा का स्कोर बहुत अच्छा माना जाता है।

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कभी-कभी ऐसा होता है कि आर्थिक स्थिति बिगड़ जाती है और लोन लेने वाले लोग चाहकर भी अपनी किस्तें समय पर नहीं चुका पाते। इसी संदर्भ में हाईकोर्ट ने एक अहम फैसला सुनाया है। इस फैसले से उन लोगों को काफी राहत मिलेगी जिनका सिबिल स्कोर कम है।

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हाईकोर्ट ने दिया ये निर्णय

हाईकोर्ट ने एजुकेशन लोन के मामले में एक महत्वपूर्ण निर्णय लिया है। कोर्ट ने एक याचिका की सुनवाई के दौरान कहा कि एजुकेशन लोन के लिए आवेदन करते समय अगर सिबिल स्कोर कम है, तो इसे रिजेक्ट करने का आधार नहीं बनाया जा सकता।

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हाईकोर्ट ने कम सिबिल स्कोर होने के चलते एजुकेशन लोन न देने के लिए बैंकों को चेतावनी दी है। कोर्ट ने कहा कि इस वजह से किसी का एजुकेशन लोन रिजेक्ट नहीं किया जा सकता। जस्टिस पीवी कुन्हीकृष्णन ने बैंकों से कहा कि उन्हें एजुकेशन लोन के आवेदनों पर मानवीय दृष्टिकोण अपनाना चाहिए।

सार्वजनिक हित की याचिका पर हुई सुनवाई

केरल हाईकोर्ट ने हाल ही में एक छात्र द्वारा दायर जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए एक महत्वपूर्ण टिप्पणी की। कोर्ट ने कहा कि विद्यार्थी देश के भविष्य के निर्माता हैं और इन्हीं को आगे चलकर देश का नेतृत्व करना है। शिक्षा, जो किसी भी छात्र का मूल अधिकार है, उसमें बाधा आना गलत है।

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कोर्ट ने एजुकेशन लोन से जुड़े एक मामले में कहा कि केवल सिबिल स्कोर कम होने की वजह से एजुकेशन लोन अस्वीकार करना उचित नहीं है। उन्होंने बैंकों को यह भी याद दिलाया कि शिक्षा में निवेश केवल एक छात्र का नहीं, बल्कि पूरे देश का भविष्य बनाने का जरिया है।

यह फैसला उन छात्रों के लिए राहत भरा है जो आर्थिक कारणों से उच्च शिक्षा प्राप्त करने में असमर्थ होते हैं। कोर्ट का यह रुख यह दर्शाता है कि छात्रों को उनके सिबिल स्कोर की वजह से शिक्षा के अवसरों से वंचित नहीं किया जाना चाहिए।

इस कदम से उम्मीद है कि छात्रों को उनकी शिक्षा के लिए आसानी से लोन मिलेगा, और बैंकों को भी छात्रों की शिक्षा में एक सकारात्मक भूमिका निभाने के लिए प्रेरित किया जाएगा।

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इस मामले में हाईकोर्ट का निर्णय आया है

एक छात्र ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी, जिसने दो लोन लिए थे। पहले लोन में 17667 रुपये बाकी थे, जबकि दूसरे लोन को बैंकों ने ओवरड्यू में डाल दिया था। इस कारण से छात्र का सिबिल स्कोर कम हो गया था।

छात्र ने हाईकोर्ट में अपील की थी कि अगर उसे जल्दी पैसे नहीं मिले, तो उसकी स्थिति खराब हो जाएगी। इस पर हाईकोर्ट ने छात्र के पक्ष में फैसला सुनाया।

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