Reserve Bank of India : देश में डिजिटलाइजेशन के चलते बैंकों में खातों की संख्या तेजी से बढ़ रही है। लोग अब कैश के बजाय अपने पैसे बैंक में रखना पसंद कर रहे हैं। बैंकों में लोग लाखों और करोड़ों रुपये जमा कर रहे हैं। इन्हीं पैसों को सुरक्षित रखने के लिए भारतीय रिजर्व बैंक ने सेविंग अकाउंट, बैंक लॉकर और एफडी के बारे में कुछ नए दिशा-निर्देश जारी किए हैं। सभी बैंकों को इन नियमों का पालन करने के लिए कहा गया है।
भारतीय रिजर्व बैंक ने सभी बैंकों को एक सर्कुलर भेजकर एक महत्वपूर्ण निर्देश दिया है। यह निर्देश सभी बैंकों के लिए अनिवार्य है। रिजर्व बैंक ने लोगों की परेशानियों को कम करने के लिए यह बड़ा कदम उठाया है।
भारतीय रिजर्व बैंक के हालिया सर्कुलर के मुताबिक, बैंक के फॉर्म्स में कुछ बदलाव होने वाले हैं। RBI ने बैंकों को यह भी निर्देश दिया है कि वे लोगों को इस नए आदेश के बारे में जानकारी दें।
RBI ने सभी बैंकों के लिए नई गाइडलाइन जारी की है
भारतीय रिजर्व बैंक ने हाल ही में एक सर्कुलर जारी किया है जिसमें सभी बैंकों और नॉन-बैंकिंग फाइनेंशियल संस्थाओं को बैंक खातों के नॉमिनी तय करने के लिए कहा गया है। आरबीआई ने बैंकों को निर्देश दिया है कि वे नए और पुराने सभी ग्राहकों के एफडी और सेविंग अकाउंट्स पर नॉमिनी की व्यवस्था करें। इसका मुख्य उद्देश्य उपभोक्ताओं के परिवार वालों को किसी भी कठिनाई से बचाना है।
ज्यादातर खातों में नॉमिनी नहीं है
भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने एफडी (FD), सेविंग अकाउंट और सुरक्षित लॉकर के खाताधारकों के लिए नॉमिनी नियुक्त करने के निर्देश दिए हैं। नॉमिनी उस खाते का कानूनी वारिस होता है, जिससे खाताधारक की मृत्यु के बाद परिवार को मदद मिलेगी। आरबीआई के सर्कुलर में यह भी बताया गया है कि कई उपभोक्ताओं के खातों में नॉमिनी नहीं है।
RBI ने सर्कुलर क्यों जारी किया
आरबीआई ने देखा कि कई अकाउंट होल्डर्स के पास नॉमिनी नहीं है। जब अकाउंट होल्डर का निधन होता है, तो उनके परिवार को जमा पूंजी हासिल करने में काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ता है। अगर खाते में नॉमिनी होता है, तो वह कानूनी वारिस बन जाता है और खाताधारक की मौत के बाद उस सदस्य को बिना किसी जटिल प्रक्रिया के आसानी से संपत्ति मिल जाती है।
लोगों को जानकारी प्रदान करनी होगी
आरबीआई के सर्कुलर में यह स्पष्ट किया गया है कि सभी बैंक, चाहे वो शेड्यूल्ड कमर्शियल बैंक हों, प्राइमरी बैंक हों, को-ऑपरेटिव बैंक हों या नॉन-बैंकिंग फाइनेंशियल संस्थाएं, सभी को नॉमिनी से जुड़ी हिदायतों का पालन करना होगा। बैंकों की जिम्मेदारी है कि वे लोगों को नॉमिनी के फायदों के बारे में समझाएं और इसकी जानकारी दें।
भारतीय रिजर्व बैंक के नियमों के मुताबिक, उपभोक्ता सेवा समिति या बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स नॉमिनी की स्थिति की समय-समय पर जांच की जाएगी। इसकी हर तिमाही की प्रगति रिपोर्ट दक्ष (DAKSH) पोर्टल पर उपलब्ध कराई जाएगी। ये प्रक्रिया 31 मार्च से शुरू होगी।
फॉर्म में बदलाव होगा
अकाउंट खोलने के लिए जो फॉर्म भरा जाएगा, उसमें कुछ बदलाव किए जाएंगे। आरबीआई के नए नियमों के अनुसार, फॉर्म में एक ऑप्शन दिया जाएगा जिससे ग्राहक अपने नॉमिनी का चुनाव कर सकेंगे। इसके अलावा, वे फॉर्म में नॉमिनी को मना करने का भी विकल्प रख सकेंगे। इसके लिए एक खास अभियान भी चलाया जाएगा।
नॉमिनी कौन होता है, इसके क्या लाभ हैं
किसी अकाउंट में नॉमिनी वो शख्स होता है, जिसे अकाउंट होल्डर अपनी इच्छा से चुनता है। जब अकाउंट होल्डर का निधन होता है, तो वही नॉमिनी अकाउंट का पैसा प्राप्त करता है। अकाउंट होल्डर की मौत के बाद उस नॉमिनी को पैसे मिलना आसान होता है, और वो कभी भी अपने नॉमिनी को बदल भी सकता है।
नॉमिनी न होने पर काफी दिक्कतें आती हैं
अगर किसी खाताधारक का बैंक अकाउंट में नॉमिनी नहीं है, तो उनकी मौत के बाद परिवार वालों को काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ता है। उन्हें खाते की संपत्ति पर अधिकार पाने के लिए लंबी प्रक्रिया से गुजरना होता है। जबकि अगर नॉमिनी है, तो परिवार का कोई भी सदस्य इन कानूनी झंझटों से बच सकता है। नॉमिनी अपने पते, बैंक डिटेल और आईडी के जरिए खाताधारक के पैसे निकाल सकता है।
अगर नॉमिनी नहीं है, तो बैंक से पैसे निकालने में कानूनी अड़चनें आ सकती हैं। किसी की मौत के बाद उसकी संपत्ति को लेकर परिवार में झगड़े भी हो सकते हैं। हर कोई अपने को वारिस साबित करने की कोशिश में कोर्ट तक पहुंच जाता है, जहां मामला सालों तक चल सकता है। इसलिए भारतीय रिजर्व बैंक के निर्देशों के अनुसार, अकाउंट में नॉमिनी जरूर बनवाना चाहिए।